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Subtle Complexities and Myriad Simplicities by Ashok Subramanian P is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License.

Saturday, April 17, 2010

प्रिय सज्जन!

कटु कंठ प्रिय सज्जन!
न कायर न डरपोक ये कठोर मन,
हम न डरेंगे इस बार,
सीना तानकर सरहद पार,
करेंगे लेकिन न मानेंगे हार,
मन मे है ख्वाब सजाए,
ख्वाबों मे फूलों न समाए,
बहाकर दर्द का दरिया तेज़,
उस पर उम्मीद की नय्या भेज,
माझी मेरी अपनी ईमान,
नेक दिल की धड़कन समान,
चलेंगे ख़ौफ़ की नदिया पार,
तुच्छ हमें ये तेज़ धार,
इरादे नेक तो दिल अभीत,
होठों पर खुशी के मधुर गीत,
और मौत मेरी मीठी जीत!

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