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Subtle Complexities and Myriad Simplicities by Ashok Subramanian P is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License.

Saturday, September 25, 2010

P.D.

I stand desperate like,
A musician through a jingle,
A painter on a billboard,
A racer at a cab-wheel,
An agnostic in a church band,
A believer with a thorny crown,
A nudist draped in coal-tar,
An actor pretending to get along,
A seer with a member-less retinue,
A seed strewn haphazard in a lifeless drought,
A thinker as a trite cog,
A poet drowned in wordless pools,
And as a romantic in damned solitude,
I persist.

Wednesday, September 22, 2010

Untitled

वक़्त के साथ बदलतीं हैं करवटें,
सुनाएँ एक क़िस्सा तुमको,
अगर लगे ये तुम्हें नामुम्किन,
तो सब्र करें और सुनें! १ ||

'ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं',
मय्या से सुनते बड़े हुए,
खेल-ए-जवानी ने भुला दी बात,
पचताए, और आज ये रच दिए! २ ||

ग़ज़ल-ए-मोहब्बत या नज़्म-ए-ख़ौफ़,
यह तो तुम ही हमें बताओ,
प्रारंभ किए थे इन अल्फ़ाज़ से,
'मुझसे दोस्ती करोगे?'! ३ ||

लाचार थें हम या बदनसीब,
ये न जाने हम कभी,
'हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं',
बस इसी सोच से सहलाते! ४ ||

इश्क़-ओ-मोहब्बत थोंपा गया,
एक शरद आधी रात में,
झूल रहे थे हम बेफिक्र,
उस मौन काल में जम गए! ५ ||

'भाई, टेंशन नहीं लेनेका भाई',
कहते गए मेरे अनगिनत मित्रगण,
आज मैं बेचारा बैठा महफ़ूज़,
कुछ न कह पाया दोस्ताना! ६ ||

होंठ थे उसके या मधु की चषक,
डूब-उभरे थे उन चक्षु में,
घोंट ली अंदाज़ ने साँस मेरी,
ख़्याल हमें अब भी तड़पाए! ७ ||

टहनी-टहनी, शाखा-शाखा,
झूले उस मल्हार में,
चुपचाप से आज ये नरम पत्ते,
ख़ामोशी में चीख़ उठे! ८ ||

ज़र्रे-ज़र्रे ने हमें भरोसा दिलाया,
कि इस सफ़र में हम अकेले न अच्छे,
शोभा दे हमें वह हमसफ़र जिसके,
यादगार-ए-घाव अब भी कच्चे! ९ ||

फिर हमने उसको बताया गुनेगार,
वो जो सपनों को तब भी सताती,
रो दिया हमारे लिए दरिया,
और वो किनारा बनकर बस गई! १॰ ||

अब आरोप न उस पर लगाएँ हम,
ग़ुस्सा तो हमें ख़ुद पर आए,
कच्ची मिट्टी-प्याले की तरह,
आब-ए-चश्म में हम घुल गए! ११ ||

आज हम अगर कभी हुए भावुक,
तो आमिर के पुतले को मन में पूजे.
'आल इज वेल' का नारा लगाते,
और ये क़िस्सा हम सुनाते! १२ ||

Written for Hindi Creative Writing GC, all filmy topics, had to use 5 out of 10 given Bollywood's favourite one-liners(in quotes).

ഓർമ്മകൾ

വാടും പൂവിതളിൽ ഓർമ്മകൾ വിരിയുന്നു,
പുരാതന വസ്തുകളെപ്പോലെ ,
എൻറെ ഓരോ ചെറിയ ഓർമ്മകൾ,
ഓരോന്നായി സന്ധ്യാകാല നക്ഷത്രങ്ങളെപ്പോലെ തെളിയുന്നു.
ഒരു പൂക്കൂട,
അവളുടെ സ്പന്ദിക്കും കൈകൾ,
ഈറൻ വിരലുകൾ,
മൃദുസ്പർശനമൊരോർമ്മ.
പൂക്കൂടയിൽ നിന്ന് താഴെ വീണ ഒറ്റപ്പൂവ്,
ഇന്നെൻ പുസ്തകത്തിൻ പെയ്ജുകൾക്കിടയിൽ,
മണം ഒരോർമ്മ, നിറം വെറും ഓർമ്മ.
പിരിഞ്ഞകാലം ഇടനെഞ്ജിൽ ക്ഷമയില്ലായ്മയൊരോർമ്മ,
മധുരനൊംബരത്തിൻ അസ്തിത്വമൊരോർമ്മ,
ശംഖിൻ ഉൾപ്പാട്ട്, ഒട്ടിപ്പിടിച്ച മണൽ,
ആദ്യ ചുംബനം, എല്ലാം ഓർമ്മകൾ മാത്രം,
പുലർച്ച സൂര്യനെപ്പോലെ ഉദിക്കും ഓർമ്മകളേ!
എൻറെ വഴികാട്ടി!
വാടിയ റോസാപ്പൂവിൻ മുള്ള്, ഒരു തുള്ളി രക്തം,
എൻറെ പ്രയാണത്തിൻ എഴുത്തുതൂവൽ മഷി!

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Memories

On a withering petal, Memories blossom,
Like ancient forgotten artifacts,
Every single memory of mine,
Appears like stars in the evening sky,
A bouquet,
Her quivery hands, Perspiring fingers,
Her tender touch, Now a memory,
A solitary flower from the bouquet,
Now between the pages of my book,
The fragrance a memory, The hue a mere memory,
My impatient heart, The pangs of separation,
A memory, the existence of the sweetest pain,
The sound of captured waves in a shell, My sandy feet,
My first kiss, All mere memories,
Memories like the morning rays of the Sun!
My incredulous guide!
A thorn from the dead rose, A drop of blood,
The quill and ink on my parchment life!